Friday, August 24, 2012

Cole 'gate' Shivraj involved in corruption


Sunburn coal is increasing. CAG report on the last three days have stalled functioning of parliament. भाजपा जहां प्रधानमंत्री के बयान से आगे इस्तीफा मांग रही है वही सरकार के संसदीय कार्यमंत्री राजीव शुक्ला ने कहा है कि भाजपा संसद इसलिए नहीं चलने दे रही है क्योंकि अगर कोयले की कालिख साफ होनी शुरू होगी तो भाजपा के कई मुख्यमंत्रियों के चेहरे भी बेनकाब हो जाएंगे . Rajiv Shukla Madhya Pradesh Chief Minister Shivraj Singh Chouhan directly named certain that he wrote to the Prime Minister had urged people to allocate coal blocks. Yeah right. Shivraj stains are on the foothill of coal.
Two - G CAG report tabled in Parliament on the lines of the spectrum all been allocated coal blocks to private companies, which resulted in a loss of Rs 86 lakh to the exchequer is estimated at 1 million, the central government on the issue of electronic channels कटघरे में खड़ा किया तो भाजपा ने प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह से इस्तीफा मांग लिया, क्योंकि जिस वक्त ये कौल ब्लाकों का आवंटन हुआ, तब मनमोहन सिंह के पास ही कोयला मंत्रालय का जिम्मा भी था। इस पूरे मामले में चौकाने वाले तथ्य यह है कि अगर कैग की इस रिपोर्ट को सही मान लिया जाए तो कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा को भी जवाब देना मुश्किल पड़ेगा, क्योंकि तमाम राज्यों में जो कोल ब्लाक यानी खदानें हैं, उनका आवंटन राज्य सरकार की अनुशंसा के बाद ही केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है और कैग ने अपनी रिपोर्ट में रिलायंस पॉवर को 29 हजार करोड़ रुपए का मुनाफा पहुंचाने का आरोप कौल ब्लाकों के आवंटन के जरिए लगाया है और इस मामले में मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार और खासकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के hands appear too dark because of Reliance Power Project MOU Pradesh BJP government with Anil Ambani, on which the company has been allotted coal mines in the state, in order to remove the coal power project.
The CAG, in its report on Reliance Power allocation of coal mines benefit 29 thousand crore which is charged, the MoU Global Investors Meet held in October 2007 in Indore, was the Chief Minister Shivraj Singh Chouhan with अनिल अंबानी भी मौजूद थे और उन्होंने मध्यप्रदेश में लगने वाले रिलायंस पॉवर प्रोजेक्ट के लिए एमओयू कर 50 हजार करोड़ रुपए के निवेश का दावा किया गया। 
इंदौर में अक्टूबर 2005 में आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट में की मीट में साइन किए गए इस एमओयू के आधार पर ही प्रदेश सरकार और खासकर मुख्यमंत्री ने न सिर्फ सासन पॉवर प्रोजेक्ट के लिए 991 हेक्टेयर वन भूमि के आवंटन की प्रक्रिया शुरू की, बल्कि अतिरिक्त कौल ब्लाक आवंटन में भी मदद की गई।
Actually Reliance Power has signed a MoU with the state government, then with the Sasan project Moher Moher Amlohri block allocation was done, but the Reliance Power has sought to block it Chhatrasal भी कोयला खनन की अनुमति दी जाए, जिसके चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर अतिरिक्त छत्रसाल ब्लाक आवंटित यानी कोयला खनन करने की इजाजत रिलायंस पॉवर के लिए मांगी और कैग ने अपनी इस रिपोर्ट में इस तथ्य को भी उजागर किया है . Allow this letter to the Prime Minister in November 2007 sought through. According to the CAG report now 29 thousand crore Reliance Power Project in illegal profits earned through coal block allocation in the case of Chief Minister Shivraj Singh Chouhan will accountability, not only because he had a hand-held Global Investors Meet in Indore में अनिल अंबानी के साथ 50 हजार करोड़ रुपए का एमओयू साइन किया और सासन स्थित रिलायंस के अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश की कोयला खदानों का आवंटन किया, बल्कि रिलायंस के अनुरोध पर इससे अतिरिक्त कोल ब्लाक भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर दिलवाए। Now the BJP has asked the prime minister to resign on coal humungous corporate scandal on the role of the chief minister, he will have to give the answer. The humungous corporate scandal, Chief Minister Shivraj Singh Chouhan has also caught the hype answer will not only heavy but also making preparations for the third time, the government will have an impact.
Reliance Power project on the state government with a 50 thousand crore MoU was signed in Indore. Reliance on the other side as well - along with Essar Power contracted to purchase expensive put differently, the finance department has also objected. Indeed, MP Power Trading Company in 2007, 2,000 MW power purchase tender for the next two decades, and extracted with Reliance Power, Essar Power also participated. Reliance 1241 MW and 450 MW Essar offered. Reliance Rs 2. 70 पैसे और एस्सार ने 2 रुपए 95 पैसे प्रति यूनिट तय किया और बाद में दोनों ही कंपनियों ने 2 रुपए 45 पैसे प्रति यूनिट पर सहमति दे दी, तभी रिलायंस ने प्रदेश सरकार को बताया कि केंद्र ने सिंगरौली जिले के सासन अल्ट्रा पॉवर प्रोजेक्ट के लिए आवंटित कोल ब्लाक से रिलायंस के लिए चितरंगी प्रोजेक्ट के लिए भी कोयला देने की मंजूरी भेजी है, लिहाजा प्रदेश के अधिकारियों ने रिलायंस के साथ निगोशिएशन कर पॉवर के दाम कम करवाने के प्रयास किए और यह तर्क दिया कि चूंकि रिलायंस को प्रदेश की कोयला खदानों से getting the coal, so it will save in other expenses, including transportation.
The MOU also highlights Indore Khajuraho
Aside Reliance Power's coal mines through a loss of Rs 29 crore to the exchequer artwork showing up on the other cast in the MOU. Global Investors Meet held at Indore in October 2007, Anil Ambani's Reliance Power in the presence of Chief Minister Shivraj Singh Chouhan investment of Rs 50 thousand crore MoU was signed in which the cement plants of Sasan Power Project, founded in Sidhi district Airport The MOU established and Technical Institute. बाद में जब प्रदेश सरकार ने अक्टूबर 2010 में खजुराहो में इन्वेस्टर्स मीट आयोजित की, तब भी अनिल अंबानी को विशेष अतिथि के रूप में बुलाया गया और होशियारी से इंदौर में साइन किया गया 50 हजार करोड़ रुपए का एमओयू पुन: खजुराहो में दोबारा साइन करवा डाला and the amount increased to Rs 75 crore.
जिस सासन पॉवर प्रोजेक्ट से रिलायंस पॉवर को कोल ब्लाक आवंटित किए गए, उसमें पहले तो भू-अर्जन के लिए ही काफी परेशानी आई, क्योंकि प्रदेश शासन ने डेढ़ हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू की और इसमें एक हजार एकड़ जमीन तो are easily obtained, but the rest of the land included in the forest land. इतना ही नहीं कई परिवारों का व्यवस्थापन भी करना पड़ा और साथ ही 10 लाख हरे-भरे पेड़ों की बलि भी इस पॉवर प्रोजेक्ट के लिए चढ़ाने पर सहमति दी गई, हालांकि रिलायंस की ओर से पेड़ों की कटाई के एवज में साढ़े 12 करोड़ रुपए की राशि and 2400 hectares of plantations to deposit a sum of Rs 70 crore to the provision.
Global Investors Meet in Indore which was held in October 2007, it was revealed frauds of the agreements. Reliance Power 50 thousand crore MoU for the project by the state government. 12 पेज के इस एग्रिमेंट को 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर किया गया और 26 अक्टूबर 2007 को किए गए इस एग्रिमेंट में तत्कालीन वाणिज्य एवं उद्योग तथा रोजगार विभाग के प्रमुख सचिव अवनि वैश्य जो कि बाद में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव भी बने, ने हस्ताक्षर Reliance Power on behalf of the Director of Business Development and JP Chalasani signed this Agreement, in addition to the direct power project in Sasan and Chitrangi Cement Factory and Technical Institute opening in Bhopal was promised.

Thursday, August 23, 2012

How to deal with communalism in India?



August 24 will have completed four years of Kandhamal riots. Fun way riots are raised once again think of him in these four years we have learned nothing. Recent Bareilly, Agra or off indicates that the incidence of the former. We probably still fail to understand that secularism is the same no matter how he ultimately national. The followers of a religion to stand against the followers of other religions and works of digging the roots of the unity of the nation. 1947 partition of India was a living example of the communal inertia, which put the nation cut into three distinct parts.
Unfortunately it will only say that communalism in shaping modern India's religious history has played an important role. British Raj's divide and rule 'policy on the basis of religion, the country was divided into two states - the Muslim-majority Pakistan (which currently includes the Islamic Pakistan and Bangladesh) split time such a large-scale population The swap (1 crore 20 lakh) which had been grueling and mass destruction. Perhaps the time of partition in a country that did not have mass destruction. The Republic of India is a secular religion and the government does not officially recognized
इसके बावजूद भारत विभाजन ने पंजाब, बंगाल, दिल्ली तथा देश के कई अन्य हिस्सों में हिन्दूओं, मुस्लमानों तथा सिखों के बीच हुए दंगों और मारकाट के कारण सांप्रदायिता का ऐसा बीज बो दिया जिसे पनपने से रोकने के लिए राजनीतिक नेतृत्व ने कोई ठोस प्रयास ही नही किये। आजाद भारत में एक दशक बाद ही साल 1961 में मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर को सांप्रदायिक दंगों ने जकड़ लिया था इसके बाद से अब तक न जाने कितने ही सांप्रदायिक दंगे हो चुके है। 1969 में गुजरात के दंगे हो या 1984 में सिख विरोधी हिंसा, 1987 में मरेठ शहर में दंगा जो दो महीने तक चलता रहा जिसमें कई निर्दोष लोग को अपनी जान गंवानी पड़ी। 1989 में भगलपुर का दंगा या 1992 -93 में हुए दंगे कितनी ही जान-माल की क्षाति उठानी पड़ी। 2002 के गुजरात दंगे और 2008 में कंधमाल की हिंसा या अभी पिछले एक महीने से सुलग रहा बरेली हो या फिर असम जिसमें लाखो लोग बेघर हो गए है।

सांप्रदायिक दंगों के कारण मानवता को इतना गहरा अघा्त लगता है कि उससे उबरने के लिए कई कई दशक लग जाते है। दंगों की चपेट में आए परिवारों का सब कुछ तहस नहस हो जाता है। रोज-रोटी की समास्या अलग से खड़ी हो जाती है। कंधमाल में चार साल पहले हुए दंगो के चलते हजारों घर जला दिये गए। यह सांप्रदायिक दंगे ईसाइयों और गैर ईसाई अदिवासियों के बीच हुए थे। दोनो ही वर्गो को जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ा। विदेशी लेखक माइकल पारकर ने अपनी पुस्तक ‘‘हारविस्ट ऑफ हेट -कंधमाल इन क्रॉसफायर’’ में इन दंगों के बाद लोगो के सामने खड़ी कठनाइयों और दंगा भड़कने के कारणों का जिक्र किया है।

सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय पाना और जीवन को दोबारा पटरी पर लाना बेहद कठिन होता है। सरकार एवं सरकारी मशीनरी मारे गए लोगों और हुए नुकसान की भरपाई के लिए मामूली मुआवजा देकर मामले से पीछा छुड़ा लेते है इसके बाद पीड़ितों का शोक-गीत सुनने वाला कोई नही होता। कंधमाल के ईसाई इस ममाले में थोड़े खुशनसीब निकले कि चर्च ने उनका जीवन दोबारा पटरी पर लाने के लिए राहत और पुर्नवास पर करोड़ों रुपये खर्च किये है। सरकार द्वारा दी जाने वाली बीस से पचास हजार की मदद के इलावा चर्च ने अपनी तरफ से तीस हजार रुपये प्रत्येक ईसाई परिवार को मुहैया करवाए है। कंधमाल हिंसा में पीड़ित ईसाई परिवारों के नाम पर चर्च संगठनों ने विश्व के कई देशों से अनुदान प्राप्त किये। कैथोलिक ले-मैन ने मांग की है कि प्रत्येक चर्च-कैथोलिक,प्रोंस्टेंट,इवैंजेंलिक और पेंटीकॉस्ट को कंधमाल में 2007 से अब तक किये गए खर्च का ब्योरा तैयार करने की जरुरत है। जाहिर है कि आर्थिक मदद करने वाली एजेंसियां और देश और दुनिया भर के लोग यह जानना चाहेंगे कि उनके दान किए धन से पीड़ितों को कितना लाभ हुआ। उल्लेखनीय है कि इन चर्चो ने दुनिया भर के ईसाई देशों से कंधमाल पीड़ितों के नाम पर इक्कठा किये गए धन का आज तक कोई लेखा-जोखा देश के सामने नही रखा है।

सांप्रदायिक हिंसा के दौरान और बाद में विभिन्न धर्मो-वर्गो की संस्थाए एवं राजनीतिक तंत्र अपने वर्ग के प्रभावित लोगों की सहायता के लिए सक्रिय हो जाता है वह अपने-अपने समुदाय के लोगों को लेकर राहत कैंप और उनके पुर्नवास की व्यवस्था करने के लिए धन संग्रह करने में जुट जाते है। सरकारे पीड़ितो से अपना पल्ला छुड़ाने के लिए इस तरह के धुव्रीकरण को शाह देती है जिससे हिंसा प्रभावित लोगो में आपसी भाईचारा पनपने की जगह और अलगाव बढ़ने लगता है। 2002 की गुजरात हिंसा और 2008 की कंधमाल हिंसा इसके प्रत्यक्ष प्रमाण है।

क्या कारण है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में साप्रदायिकता की आग ठंडी होने के स्थान पर लगातार सुलगती ही जा रही है वह भी ऐसे देश में जिसका अपना कोई आधिकारिक धर्म नहीं है। 42वें संविधान संशोधन द्वारा इसे और मजबूती दी गई है। इसके बावजूद कुछ राजनीतिक दलों द्वारा सत्ता पाने के लालच में कुछ धर्मो एवं सांप्रदायों को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे है। कांग्रेस पार्टी ने अपने 84वें अधिवेशन में सांप्रदायिकता के विरुद्ध प्रस्ताव पास कर हल्ला बोलने की घोषणा की थी लेकिन वह धरातल पर ऐसा करती कहीं दिखाई नही देती। पिछले साल बरेली में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर कई मुसलमान बुद्धजीवियों ने कांग्रेस की तरफ अुंगली उठाई थी। उनका मानना था कि सांप्रदायिक हिंसा में धर्म से ज्यादा राजनीति का रोल है।

हालही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने असम का जिक्र करते हुए कहा है कि सांप्रदायिक हिंसा देश की मिली जुली संस्कृति पर हमला है और इससे कड़ाई से निपटने की जरुरत है। आज जरुरत इस बात की भी है कि सरकार ऐसे सांप्रदायिक दंगो से निपटने के लिए एक विशेष ढांचा देश के नगरिकों की सहयता से खड़ा करे। यह दुखद है कि पिछले छःह दशकों से हम ऐसे किसी प्रयास की और नही बड़े है। हमने केवल राजनेताओं और कुछ गिने चुने मुठ्ठी भर (सवा करोड़ की आबादी में से डेढ़ सौ) लोगो को लेकर राष्ट्रीय एकता परिषद खड़ी कर ली है। जिसकी बैठक बुलाने में महीनों ही नही साल लग जाते है। सरकारी छत्रछाया में चलने वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में भी ऐसे लोग भर दिये जिनकी कार्यशैली पर देश का बहुसंख्यक अंगुली उठा रहा है।

सांप्रदायिक हिंसा एवं दंगों से निपटने और विभिन्न सांप्रदायों, वर्गो, धर्मो एवं समूहों के बीच आपसी सौहार्द बनाए रखने के लिए जिला, ब्लाक, शहर, गांव स्तर तक की समितियां बनाई जानी चाहिए। ऐसी समितियों में शामिल किये जाने वाले व्यक्तियों को सरकारी तौर पर मानदेय उपलब्ध करवाया जाना चाहिए और उनकी प्राथमिकता अपने क्षेत्र में आपसी सौहार्द को बनाये रखना होना चाहिए। किसी भी देश के विकास के लिए परस्पर सांप्रदायिक सौहार्द का होना बेहद जरुरी है अगर हम अपने बजट का कुछ मामूली हिस्सा खर्च करके कोई ऐसा तंत्र विकसत करने में सफल होते है तो यह देश और समाज दोनो के हित्त में होगा।

Assam violence


Assam arose from the fire has spread to other parts of the country. Bodo - non-Bodo (most of which are illegal Bangladeshi Muslims) released the water - Forest - At least 90 people have died in the struggle for land and nearly 4 thousand people have been displaced. 227 relief camps for the displaced are conducting the Bodo community for 51 and 175 are minorities. Assam violence had not yet handed in Mumbai's Azad Maidan police target group of a particular denomination and has organically.

और देखिए, भारत का मुसलमान अपने मकसद में कामयाब होता दिख रहा है। मुंबई के बाद लखनऊ में सुनियोजित षड़यंत्र के तहत बुद्ध पार्क में नुकसान पहुँचाना, मीडियाकर्मियों को सरेआम पीटना; यहाँ तक कि महिलाओं के साथ सामुहिक छेड़छाड़ के मामले सामने आना यह साबित करता है कि देश के मुसलमान के लिए देशहित से अधिक अपनी कौम का हित प्यारा है। और कौम का भी हित क्यों, उन्हें सिर्फ इससे मतलब है कि इस्लाम की दुहाई देकर देश का साम्प्रादायिक सद्भाव बिगाड़ने की साजिश रचने वाला उनके कानों में कितना ज़हर घोल सकता है ताकि वे अपनी अस्मिता की कथित रक्षा हेतु मारकाट कर सकें। भारत का मुसलमान असम के जिन अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनके खिलाफ जारी हिंसा का खूनी विरोध करने पर आमादा है, वह कौन है, क्या है जैसे प्रारम्भिक प्रश्नों के उत्तर जाने बिना हिंसक हो रहा है।
असम में मौजूद अवैध बांग्लादेशी मुसलमान जिन्हें रिन्गिया के नाम से भी जाना जाता है, दरअसल जमात-ए-इस्लामी संगठन के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। जमात-ए-इस्लामी के बारे में किसी को कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है। इस संगठन की पैदाइश ही भारत को अस्थिर करने के मकसद से की गई है। इन रिन्गिया मुसलामानों को कुछ माह पहले म्यामार से भी खदेड़ा गया था और बांग्लादेश भी इन्हें अपनाने के लिए तैयार नहीं है। चूँकि ये बांग्लादेश की सरकार के घोर विरोधी माने जाते हैं अतः इनका बांग्लादेश में बसना नामुमकिन है। हाँ, असम से लगी बांग्लादेश की सीमा से इनका भारत में अवैध रूप से बसना और वोट बैंक के लालची नेताओं का इन्हें आश्रय देना ही असम हिंसा का कारण है।

ज़रा सोचिए, इन मुसलामानों को कई देश उनकी कट्टरता के कारण अपनाने से इंकार कर चुके हैं और जो अवैध रूप से भारत में डेरा जमा चुके हैं, उनके हितों की लड़ाई के लिए देश का मुसलमान देश से की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से लेकर इसकी एकता और अखंडता को खंड-खंड करने पर उतारू है| वैसे देखा जाए तो इसमें भारत के मुसलमान का दोष कम ही दिखाई देता है| उसे तो भड़काकर राजनीतिक लोग अपने हित-साधन करते हैं| उदाहरण के लिए असम की एक छोटी सी पार्टी एआईयूडीएफ का अध्यक्ष और धुबरी से सांसद बदरुद्दीन अजमल भारतीय मुसलामानों को भड़काने का काम कर रहा है और सरकार वोट बैंक के लालच के तहत इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही| यहाँ तक की लोकतंत्र के मंदिर संसद में भी इसकी ज़हर उगलती जुबान ने सरकार की भीरुता को प्रदर्शित किया है| अपने वक्तव्य में इसने कहा है कि "गैर बोडो लोगों को असम से खदेड़ने की साजिश रची गई है| मृतकों में अधिकाँश अल्पसंख्यक हैं और शरणार्थियों में भी उनकी संख्या अधिक है| इसमें बोडोलैंड पीपुल्स का हाथ है और मुख्यमंत्री उनकी सहायता कर रहे हैं| यदि असम को हिंसा मुक्त करना है तो तरुण गोगोई को तुरंत मुख्यमंत्री पद से हटाना होगा वरना असम ऐसे ही जलता रहेगा|"
इस देश के दुश्मन की जहर उगलती जुबान को काबू में रखने की पहल तो दूर सरकार उसके दिखाए मार्ग पर चल रही है और असम में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मुहैया करवाई जा रही है| वैसे बता दूं कि यह अजमल असम के जिस क्षेत्र से सांसद है वहां की अधिसंख्य आबादी अवैध बांग्लादेशी मुसलमानों की है जिनकी दम पर यह संसद पहुंचा है| ज़ाहिर है उनका पक्ष लेकर यह अपना वोट बैंक ही बढ़ाएगा किन्तु असम को इतने जख्म दे देगा कि उसकी पहचान का ही संकट खड़ा होगा| पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी किताब में एक बार कहा था कि असम के बिना पूर्वी पाकिस्तान की कल्पना अधूरी है और लगता है जैसे अजमल भुट्टो के कहे को सच में तब्दील करना चाहता है| पूर्वी पाकिस्तान का अस्तित्व तो बांग्लादेश के रूप में सामने आया है लेकिन असम को बांग्लादेश में मिलाने की इस्लामी साजिश को अजमल जैसा नापाक शख्स अंजाम देगा इसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की होगी|

२००१ की जनगणना के अनुसार देश में ४ करोड़ बांग्लादेशी मौजूद थे| आई बी की ख़ुफ़िया रिपोर्ट के मुताबिक़ अभी भी भारत में करीब डेढ़ करोड़ से अधिक बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं जिसमे से ८० लाख पश्चिम बंगाल में और ५० लाख के लगभग असम में मौजूद हैं| वहीँ बिहार के किसनगंज, साहेबगंज, कटियार और पूर्णिया जिलों में भी लगभग ४.५ लाख बांग्लादेशी रह रहे हैं| राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में १३ लाख बांग्लादेशी शरण लिए हुए हैं वहीँ ३.७५ लाख बांग्लादेशी त्रिपुरा में डेरा डाले हैं| नागालैंड और मिजोरम भी बांग्लादेशी घुसपैठियों के किए शरणस्थली बने हुए हैं| १९९१ में नागालैंड में अवैध घुसपैठियों की संख्या जहाँ २० हज़ार थी वहीँ अब यह बढ़कर ८० हज़ार से अधिक हो गई है| असम के २७ जिलों में से ८ में बांग्लादेशी मुसलमान बहुसंख्यक बन चुके हैं| १९०१ से २००१ के बीच असम में मुसलामानों का अनुपात १५.०३ प्रतिशत से बढ़कर ३०.९२ प्रतिशत हो गया है|
जाहिर है इन अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से असम सहित अन्य राज्यों का राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक ढांचा प्रभावित हो रहा है| हालात यहाँ तक बेकाबू हो चुके हैं कि ये अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठिये भारत का राशन कार्ड इस्तेमाल कर रहे हैं, चुनावों में वोट देने के अधिकार का उपयोग कर रहे हैं व सरकारी सुविधाओं का जी भर कर उपभोग कर रहे हैं और देश की राजनीतिक व्यवस्था में आई नैतिक गिरावट का जमकर फायदा उठा रहे हैं| दुनिया में भारत ही एकलौता देश है जहां अवैध नागरिकों को आसानी से वे समस्त अधिकार स्वतः प्राप्त हो जाते हैं जिनके लिए देशवासियों को कार्यालयों के चक्कर लगाना पड़ते हैं| यह स्वार्थी राजनीति का नमूना नहीं तो और क्या है? यह तथ्य दीगर है कि इन घुसपैठियों की वजह से पूर्व में भी कई बार असम ही नहीं बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ा है|
असम में निवास करने वाले सभी मुस्लिम अवैध बांग्लादेशी घुसपैठी नहीं हैं किन्तु यह भी सच है कि असम का एक बड़ा जनसंख्या वर्ग यह स्वीकार करता है कि उनके राज्य में अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठियों की तादात अनुमान से कहीं अधिक है जिसे लेकर सरकार ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई है| इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि राज्य के अत्यधिक हिंसा प्रभावित जिलों में बड़ी संख्या में अवैध मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठी परिवार रहते हैं जिन्होंने स्थिति को इतना बिगाड़ दिया है कि राज्य शासन हिंसात्मक गतिविधियों को रोकने में असहस नज़र आ रहा है।

असम में अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ देशभक्त बोडो समूह का आना एक शुभ लक्षण था लेकिन राजनीति के चक्कर में इनकी विदाई बेला पुनः टल गई है| पर इस संघर्ष से अब पूर्वोत्तर राज्यों के निवासियों को धमकी भरे संदेश दिए जा रहे हैं जिससे ये विभिन्न शहरों को छोड़कर अपने क्षेत्र में वापस जाना चाहते हैं वह भी ऐसे माहौल में जबकि उन्हें ज्ञात है कि वहां भी हालात चुनौतीपूर्ण होंगे| धमकी भर संदेशों को पाकिस्तान का समर्थन व संसाधन मिलने से यह प्रमाणित होता है कि भारत को अस्थिर करने की इस्लामिक चाल में कई बड़े समूह काम कर रहे हैं| अब यह भारत के मुसलमान को तय करना है कि वह देशहित के लिए खुद को आगे लाता है या कौम की लड़ाई में देश के टुकड़े करना चाहता है| यदि देशहित से ऊपर कौम को रखा जाता है तो यह सरासर देश के साथ गद्दारी है और ऐसे में यह कहने-समझने में गुरेज नहीं होना चाहिए कि मुसलमानों की देशहित मात्र दिखावा है, जिसे भड़काकर कोई भी स्वहित में बदल सकता है।

Extreme Islamic radicalism soar


Able Bangladeshi Muslims in the past week nationally released 'Islamic Jihad' once again has created a lot of questions. Sattadish we are in a position to analyze what it is? Rohingia killed in Myanmar Muslims pray at Azad Maidan Mumbai-based Raza Academy suddenly why credit is to pay?Why do young men bent on violence unprovoked violence suddenly become a Muslim? Of the Mullon Thukka around Mumbai riots - began to embarrassed to get to the other cities of Mumbai is violence?
Suddenly ne how young people were intimidated from north to south? North to escape the family home is not determined until the problem then why did not the intelligence to guess? What is a Muslim problem in the Northeast raised fresh?Assam and Myanmar issue of why India has been in the air?
Power performance is the month of Ramadan: Ramadan Muslim past time last Friday of the month is dedicated to the Muslims in Palestine. Since the month of Ramadan in the Muslim world of the wealthy class, religious donations, hence the name of Islam in the month of Ramadan Tanzeem running all attempts to demonstrate its comprehensive strength. Shiite cleric Ayatollah Khomeini of Iran Islamic Dua Palestine Smrthnarth appeal began. It al - called deuce. Other sects of Islam Shia Muslim cleric to stand back and do not allow read prayers. When it came to race on the Shia, the Sunni, the Wahhabi, Ahle What are all standing in a successful one. Issued by the local Buddhist sect killed in clashes in Myanmar which the Muslim cult Hey, no one asks. Organisation of Islamic Countries (OIC), the dictators of Myanmar delegation will tighten its presence felt. From Pakistan to Turkey and from France to the U.S. in Myanmar that killed 80 Muslims Syapa no lack of human rights NGOs. On the other hand, the oppressed Muslims of Myanmar propaganda Ten - Five Muslim tapori millions Purwottrwasi show just eye trembles in fear. Atrocities on the local tribal Bodo community in Assam intruder invaded his sympathy in a tone not heated. Sangma Puarno tribal justice until tomorrow pretender wanted to be president until the day of his beak on Bodo tribals Brp nothing came out against Islamic terror.
"Islam is a political religion ': Robert Spencer in Europe these days 'written Did Muhammad Exist?' (What Muhammad existed?) Is extremely popular. Robert Spencer of West knowledgeable considers a class of Islamic history. Spencer is not clear - 'political religion Islam is terrible. " Spencer admits that the Arab Empire in 700 AD Suji political integration device he created the framework for religion called Islam. Change in the structure of Islam brutal ruler of Iraq Hajjaj ibn Yusuf did work. Today, Month of Ramadan, the Islamic world's political section is used to decide the point. It has repeatedly been found that a radical group of Muslims are being persecuted in any corner of the world, with Muslims because of Islamic religious unity is in retaliation sense. Mullo - traders and Muslim leaders made ​​the month of Ramadan is a celebration of the global Islamic unity. Mumbai Muslim National Unity of Islamic terrorism in the name of the first victim was gone.
Are making all the rage in Ramadan: March 12, 1993 the world's first serial bomb blasts in Mumbai in the month of Ramadan was gathered 12 bases. The bombing was carried out by Pakistan's ISI and Indian Mullon Islamic terror group - Muslim leaders, businessmen 'ideal' association with Dawood Ibrahim. In the world there have been terrorist attacks in the month of Ramadan, the Islamic terror JD've been asleep most countries remain extra vigilant in the month of Ramadan. In India, the Islamic month of Ramadan, in part or in rough Tanzeem Islamic violence breaks out or refuse to execute the blasts. Pune bombing and riots in Mumbai in the month of Ramadan and why. Goodbye Friday was the day in Ramadan instigated a riot in Lucknow. At the global level on the issue of Myanmar Muslims are Muslims Syapa Rohingia the Myanmar riot between Muslims and Buddhists in May was even worse. Rohingia Muslims is not a new problem.
Target Islamization of Islam: Saudi Arabia's Islamic issues Chowdhury country, recognizes there is infiltration of Bangladeshi Muslims or Rohingia? And then himself ruler of Bangladesh Sheikh Hasina said in clear terms that the Myanmar Rakhain province Rohingia place for Muslims in Bangladesh. The Muslims of India not to accept the fact that this country why 4 million Bangladeshi Muslims accept?The Muslim tiny - smaller issues are beseeched by Saudi Arabia against India Alnbrdaron of the corn and the Bangladeshi Muslims madine not accept the burden of pleading? The answer is in the analysis of Spencer. Islam is the target of the Islamisation of new areas. Bangladeshi Muslims demand the time being routed from Assam momentum continues at the same time the Hindu minority in Pakistan by Islamic publish news of vandalism. When India was partitioned in 1947, when the Hindu minority in Pakistan, 20 per cent of the population was over. Sindh and Punjab, the Hindu population was decisive. In the past 6 decades of Punjab, Hindus or Muslims have been killed have been created. Hindus in Sindh Muslim girls tend to carry the day. Hindu temples have taken possession of the property of the Muslims.
Paper remains the Hindu interest agreement: for Hindus Khyber - Pkhtunwa area was considered much safer than Punjab and Sindh. Khan Abdul Ghaffar Khan founded by the Awami National Party used to be the guardian of the Hindus.Akbar Khan Bugti in Balochistan Nbaw sympathizer was Hindu. In August 2005, the Pakistan army has killed Bugti Balochistan Nbaw Hindu Pakistani military targets.Jawaharlal Nehru and Liaquat Ali in April 1950 an agreement was signed.According to the agreement, for the welfare of Hindus and Sikhs in Pakistan Government has the right to Kopryas. By 1994, the Indian Embassy in Karachi Pakistan People's Party and the National Party Hindu Sindhis kept contact with officials. Pakistan's ISI in 1994 on the advice of Prime Minister Benazir Bhutto in Karachi on Indian Uchchayuktaly closed. Now when the High Commissioner of India to open its office in Karachi, Pakistan talks to open an office in Mumbai Pakistani High Commission 'Jinnah House' is sought. In these 20 years, thousands of Pakistani Hindus, Muslims made ​​either killed or slaughtered. Can you imagine the ensuing massacre of Hindus in Pakistan Hindu Ganeshotsav bent on public display will be violent?
Incompetence of governments: the far northeast Pakistan Pakistan sponsored Indians' after Eid'll see. " Seem to escape the threat of hearing. We Indians are not convinced them. Seeking to restore diplomatic relations with Pakistan in UPA parties are done daily. Pakistani television channels broadcast in India, Information and Broadcasting Minister Ambika Soni has been advocating that themselves. Not be restricted sites brunt of Pakistan, India is facing the last fifteen days, the revelation now own Union Home Secretary RK Singh said. Continue to Muslims in India vandalism Rohingia the 'MMS' issued by the MMS Pakistani Islamic Jmiyte disseminated. Raza Academy in Mumbai, which was held August 11 meeting of the Islamic ideological Jmiyte is Mukhalif. Yet no one can deny the fact that as soon as' Islam is in danger! " The rooster looks Pnthbed between Muslims walls are collapsed in a short time. Hindus also that we will ever awakening from Pkhtunwa Hindu Kokrajhar on any given support to stand against the Atchar! No political consciousness unless it wakes us up by this hit then we have no other option than to stay. Mumbai Police Commissioner Arup Patnaik female police personnel with the Muslim rioters are down to her rump criminal instinct has tarnished our entire governance system.

Iniquity to be Hindus


Situated on the banks of the Yamuna in Delhi dune lover boy but does anyone know why it's called Majnu Ka Tila is known for two things. One, a large number of Tibetan refugees residence, and two, the Sikrkhon is the famous Gurdwara Sahib Majnu mound. Made to the gurdwara Gurumuk met in a tent. Wife and two small children in the tent met him, he seemed to have been naked in conversation. However, a year ago, they were not so naked.
Hyderabad in Sindh province of Pakistan come Gurumuk Delhi. The government would not be permitted even if they are not coming back ever since. They are willing to stay in the jails of Pakistan to return but no whit. He committed no crime.His only crime is that they are Hindus in Pakistan.
Year after year, on one pretext Hindu families migrated from Pakistan to reach India. After coming here once again they did not want to go back. This is because they are so cash-strapped? By talking to Gurumuk not think so. Unlike the refugee influx from Bangladesh due to poor Muslims save your money but come to India to save religion. In the past few months, several Pakistani Hindus have come with the intention of settling in India. They all seem happy here in poverty and rainy. They think that the twenty-four hours they got rid of the panic caused by the Hindus in Pakistan, there was trouble. '' During the conversation they clearly state that the Indian government will try to remove us from the Families of us are willing to kill themselves with fire.
August 4, 2011 A crew of 147 had arrived in India from Pakistan. None of which has not been returned. It all came back on the mound Majnu. After they individually have spread in. Asked about the status of Hindus in Pakistan Sindh Hyderabad from Gurmukh read alone in his 6 brothers - have written to say that even though our house there, fittingly, but the safety was not. This pressure is created by all Hindus to accept the Muslim religion, then obviously be cut from the rest of his life. With the Hindus are treated as untouchables. Hindus all over the place to go to school or keeping separate utensils. Lots of places to drink, they are not glass. He has to drink water by hand. 
He said that his biggest problem with the Hindus respect it is not safe. If the family did not agree to this, then the girls are forced to change religion. There are many families which is half Hindu, half Muslim. Asked on whether or not the police, he told police only two appearances - four times round kills, but the result does nothing. Government not moving there. He only plays the role of a silent spectator.There are around us - there is no temple in which we can worship.
How to reach India, he replied that we were trying to get visas to almost 6 years, but they are bound to fail every time. He then went to India allowed. He explained how there is a problem, but is better than Pakistan. Even though the rain water from dripping into the tents, but my kids there may be a comfort to the heart.Which we do not have. Some of their children go to school with the help of an institution. Gurmukh said spotters Redi fruit of our future, but it may be good to visit their children's future.
The constant pressure on children is that they leave their religion adopt the Muslim religion. Most kids do not read this. Some guy even if the reading is afraid to send girls to school no. Trump Das said many times, they entered the house and took all the same. He said the city is occupied by several people on Smsnon.When asked why not come to India in 1947, the same time they were sharing. 
While it would trump the rich will have a foot in Pakistan, India remains the second.Those guys know what state that there are poor Hindus.
Hindus in Pakistan, he definitely has to be his crime. Dialogue in order to trump naked eye coming here is no threat to anyone. Not even with Muslims. But still he feels that he will know most will say that Pakistan would suffer the brunt of his relatives. Quaid - e - Azam Jinnah secular Pakistani Nirih and they were stranded in Pakistan persecution simply because they did not accept Islam.